विजयराघवगढ़ का किला
विजयराघवगढ़ के किले में शुरू हुई अंग्रेजों के खिलाफ बगावत –
ब्रिटिश शासन की बेडियों में जकड़े देश को आजाद कराने में अहम भूमिका निभाने वाले विजयराघवगढ़ रियासत के राजा प्रयागदास के पुत्र राजा सरयूप्रसाद का किला आज भी अपनी कहानी बयां करता है। 1857 की क्रांति में इस महायोद्धा ने न सिर्फ अंग्रेजों के खिलाफ बगावत शुरू की थी बल्कि ये वे पहले शख्स हैं, जिन्होंने अंग्रेज कमिश्नर को गोली दागी थी और फिर अंग्रेजों के खिलाफ उठी थी चिंगारी। ऐसे वीर, शौर्यवान, देशभक्त का निवास ऐसा है जो देखते ही बनता है। विश्व विख्यात विजयराघवगढ़ का किला जहां की सुरक्षात्मक बनावट, नक्काशी देखने लायक है। 1826 में शुरू हुआ इसका निर्माण कई वर्षों में पूरा हुआ। इस किले की खासियत है कि यह चारों तरफ से बड़ा ही सुरक्षित है। दो ओर से यह नदियों से घिरा है, तीसरी ओर विशाल पहाड़ इसकी रक्षा कर रहा है। यहां पहुंचने वाले लोग इसकी बनावट को देखकर दांतों तले अंगुलियां दबा लेते हैं। इसके अलावा यहां पर विजय के प्रतीक राघव जी का मंदिर, रंगमहल की नक्काशी, रनिवास का आकार, गढ़ी के निर्माण की कलाकृति, दीवारों की नक्काशी देखने लायक है।