जैविक और औषधीय पौधों की खेती कर मनीष ने चार गुनी कर ली कृषि आय
कृषि को लाभकारी धन्धा बनाने और पांच साल में कृषि की आय को दुगुना करने के सरकार के संकल्प को पूरा करने की दिशा में कटनी जिले के बहोरीबंद विकासखण्ड के खड़रा निवासी मनीष दुबे ने गेहूं और उड़द की परम्परागत खेती को छोड़कर जैविक तरीके से औषधीय फसलों का उत्पादन लेकर कृषि आय चार गुनी कर ली है। सेवानिवृत्त रेंजर राम सेवक दुबे के पुत्र मनीष दुबे ने बीए तक की पढ़ाई करने के बाद परम्परागत खेती से अलग औषधीय पौधों की फसल लेने का मन बनाया। उन्होने पूरी मेहनत और लगन से परम्परागत खेती से होने वाली प्रति हैक्टेयर 30 से 32 हजार रुपये की आमदनी को बढ़ाकर औषधीय फसलों के माध्यम से एक लाख 11 हजार रुपये प्रति हैक्टेयर तक पहुंचा दी है। अब वह अपनी उन्नत खेती से 10 से 12 लाख रुपये वार्षिक आमदनी प्राप्त कर रहे हैं।
युवा कृषक मनीष दुबे बताते हैं कि परम्परागत खेती में गेहूं में 15 क्विंटल प्रति हैक्टेयर और जायद फसल उड़द में 6 क्विंटल प्रति हैक्टेयर के उत्पादन से वर्ष भर में केवल 30 से 32 हजार रुपये की ही आमदनी प्रति हैक्टेयर हो पाती थी। उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग और कृषि प्रशिक्षण सह भ्रमण कार्यक्रम की गतिविधियों में शामिल होने पर पता चला कि अपने जिले में औषधीय पौधों की खेती कर मुनाफा कमाया जा सकता है। औषधीय फसलों की खेती के संबंध में और अधिक जानकारी जुटाई तथा अपने और सिकमी में लिये गये 10 एकड़ खेत में सिट्रोनेला, 4 एकड़ में लेमन ग्रास, 2 एकड़ में पामारोजा, 2 एकड़ में मेथा और 1 एकड़ में स्टीविया (मीठी तुलसी) फसलें लगाई। इसके अलावा घरेलू उपयोग के लिये कुछ जमीन में धान में उड़द की जैविक खेती भी की। रासायनिक खाद के स्थान पर जैविक खाद और उर्वरक का भी उपयोग किया।
मनीष दुबे ने बताया कि औषधीय पौधों में रासायनिक खाद, कीटनाशकों की आवश्यकता बहुत कम होने से लागत भी कम आती है और एक बार फसल लगाकर अगले तीन वर्षों तक उत्पादन लिया जा सकता है। औषधीय पौधों की फसल से प्रथम वर्ष ही फसल की लागत 40 हजार रुपये प्रति हैक्टेयर रही। जबकि पहले साल का मुनाफा एक लाख 10 हजार प्रति हैक्टेयर मिला। अगले सालों में लागत कम होने से केवल मुनाफा ही मुनाफा मिलेगा। औषधीय पौधों के लिये बाजार और विक्रय के सवाल पर श्री दुबे का कहना है कि कॉन्टेक्ट फार्मिंग अथवा बाजार में औषधीय फसल, सुगंधित तेलों की डिमाण्ड के चलते उनकी औषधीय फसल बाजार में हाथोहाथ बिकती है। जैविक और उन्नत तकनीक से औषधीय फसलों की खेती कृषि आय बढ़ाने का आसान और उत्तम जरिया भी है।