पुष्पावती नगरी बिलहरी
85 मंदिर, 13 बावड़ी से घिरी है पुष्पावती नगरी बिलहरी –
कटनी जिला मुख्यालय से महज 15 किलोमीटर दूर स्थित पुष्पावती नगरी बिलहरी 85 मंदिर और 13 बावड़ियों से घिरी है। यह स्थान न सिर्फ 945 ईसवीं के इतिहास को संजोये हुए है बल्कि यहां की पुरातात्विक धरोहरों की नक्काशी खुद ब खुद अतीत को बयां कर रही हैं। प्रतिदिन सवा मन सोना दान करने वाले दानवीर राजा कर्ण के इस स्थान का खास स्थान है। यहां पर बनी गढ़ी, किला, फांसीघर, काम कंदला के पत्थरों की शिल्प सम्मोहित तो करती ही है, साथ ही लक्ष्मण सागर तालाब का अलग सौंदर्य है। बिलहरी में स्थित प्राचीन विशाल मंदिरों के अलावा किले के अवशेष, फांसी देने का स्थान, रानी की सिंगार चौरी, बावली आदि स्थान भी दर्शनीय हैं। यहां पर चंडी देवी मंदिर को लेकर किवदंती है कि राजा कर्ण सूर्याेदय से पूर्व स्नान करके चंडी देवी मंदिर जाते थे और वहां कड़ाहे में उबलते तेल में कूद जाते थे। देवी उन पर अमृत छिड़ककर जीवित करती थीं और ढाई मन सोना प्रदान करती थीं। देवी से प्राप्त सोना में से सवा मन सोना राजा सुबह गरीबों को दान में दिया करते थे। इसके अलावा बिलहरी में कलचुरी वंश का 10वीं शताब्दी का अभिलेख, कलचुरी शासक युवराज द्वितीय का इतिहास, कलचुरी वंश की उत्पत्ति एवं प्रारम्भिक शासकों की जानकारी, माधवानल और कामकंदला की प्रेम गाथा, तरणतारण मंदिर, कल्चुरी शासक की प्राचीन गढ़ी, तपसी मठ, पुरातत्व का संग्रहालय, 85 मंदिर, 13 बावड़ी, गया कुंड, लक्ष्मण सागर तालाब, नौ देवियों के प्राचीन मंदिर, काल भैरव मंदिर, काम कंदला आदि दर्शनीय स्थल हैं।