भगवान विष्णु वराह
कारीतलाई में 5वीं सदी की विष्णु वाराह की प्रतिमा है आकर्षण –
जिला मुख्यालय से 42 किमी. की दूरी पर बसा कारीतलाई गांव। यहां पर 5वीं सदी का भगवान विष्णु वराह का अद्भुत मंदिर है। बताया जाता है कि विंध्य पर्वत की कंदराओं में बसा यह गांव कभी कल्चुरी शासकों के बड़े कला केन्द्रों में शुमार था। यहां पर मिले पुरावशेष देश-विदेश के संग्रहालयों की शोभा बने हुए हैं। इस गांव में भी न सिर्फ 493 ईसवी के अवशेष विद्यमान हैं बल्कि भगवान गणेश, विष्णु-वाराह, शिव-पार्वती अािद की प्रतिमाएं बोलती प्रतीत होती हैं। खुदाई में यहां बहुत शिलालेख मिले हैं जो आज भी रायपुर संग्रहालय, रानीदुर्गावती संग्रहालय जबलपुर, ग्वालियर सहित अन्य स्थानों पर संरक्षित हैं। यहां को लेकर कहा जाता है कि प्राचीन काल में विंध्य की कंदराओं में रहकर शिल्पकार कला का प्रदर्शन किया करते थे। यहीं से ही खजुराहो का शिल्प संवारा गया था। कल्चुरी महाराज लक्ष्मण राज के मंत्री भट्ट सोमेश्वर दीक्षित द्वारा विष्णु वाराह का मंदिर बनाए जाने के शिलालेख मिले हैं। 493 ईसवी का भी यहां पर ताम्रपत्र का लेख मिला है। इसे पुरात्व विभाग ने संरक्षित कर लिया है।