मां जालपा
बांस के जंगल से प्रकट हुई थीं मां जालपा
वर्षों से लोगों की आस्था का केन्द्र है शहर के बीचों बीच बना मां जालपा देवी का मंदिर। जहां पर प्रदेश भर से लोग अपनी मनोकामना को लेकर परिवार सहित पहुंचते हैं। बताया जाता है कि माई की प्रतिमा जहां प्रकट हुई थी बहुत पहले वहां पर बांस का घना जंगल था और बांस के जंगल से माता की शिला प्रकट हुई थी। यहां मां जालपा की प्रतिमा के साथ ही 50 वर्ष पूर्व समिति ने जयपुर से लाकर मां जालपा, कालका, शारदा की प्रतिमाएं स्थापित की थीं और उसके अलावा 64 योगनियों की स्थापना की गई है। नवरात्र के अलावा साल भर यहां भक्तों का तांता लगता है। बुजुर्गों के अनुसार लगभग 250 वर्ष पूर्व रीवा जिले के छोटे से गांव से बिहारीलाल पंडा अचानक घर से कटनी आए थे। उस दौरान जालपा वार्ड में बांस का जंगल हुआ करता था। बताया जाता है कि मां ने उन्हें बुलाया था। जिसके बाद उन्होंने जंगल में वर्तमान मंदिर के स्थान पर सफाई प्रारंभ की तो एक शिला के रूप में मां जालपा की प्रतिमा मिली। जिसकी प्राण प्रतिष्ठा कराई गई और शुरुआत में छोटी सी मढ़िया में मातारानी विराजित की गईं। मंदिर को लेकर लोगों की आस्था बढ़ी और प्रदेश के कई जिलों से आज लोग मंदिर पहुंचते हैं।