रूपनाथ धाम
पुरातत्व महत्व व आस्था का केन्द्र रूपनाथधाम –
प्राकृतिक कुंडों में भरा पानी, गुफा में विराजे भगवान भोलेनाथ, चारों ओर अनूठी प्राकृतिक छटा और इन सभी के बीच में सम्राट अशोक के शिलालेख, यह सब मौजूद है, जिले की बहोरीबंद तहसील के ऐतिहासिक स्थल रूपनाथधाम में। पुरातत्व महत्व व लोगों की आस्था का केन्द्र यह स्थल अपने आप में अनूठे रहस्यों से भरा है। पहाड़ी के पत्थरों एक ऊपर एक बने तीन कुंड, विशाल पत्थरों के बीच बनी गुफा और सम्राट अशोक के शिलालेख तीनों को लेकर अलग-अलग चर्चाएं हैं। कहा जाता है कि 232 ईसा पूर्व तक शक्तिशाली भारतीय मौर्य राजवंश के सम्राट अशोक मौर्य (सम्राट अशोक) जिले के छोटे से नगर बहोरीबंद के समीप स्थित रूपनाथ में रुके थे। रूपनाथ धाम में उनके रहने व ठहरने सहित कई उपयोगी शिलालेख व उनके माध्यम से कराए गए निर्माण उनके ठहरने का आज भी प्रमाण देते हैं। रूपनाथ धाम में पंचलिंगी शिव प्रतिमा है, जिसे रूपनाथ के नाम से जाना जाता है। यह कैमोर पहाडियों के एक सिरे पर स्थित है। पहाड़ी में सबसे नीचे का कुंड सीता कुंड, मध्य का लक्ष्मण कुंड और सबसे ऊपर भगवान राम का कुंड है। रूपनाथ धाम के पुजारियों के बताए अनुसार यहां को लेकर मान्यता है कि जागेश्वरधाम बांदकपुर के लिए भगवान भोलेनाथ यहीं से गए। प्रकृति की गोद में बसे रूपनाथधाम में कई जिलों से लोग पहुंचते हैं।
फोटो गैलरी
कैसे पहुंचें:
बाय एयर
सबसे नजदीकी एयरपोर्ट जबलपुर जिले में स्थित है |
ट्रेन द्वारा
कटनी जिले में तीन मुख्य रेलवे स्टेशन हैं - कटनी जंक्शन, कटनी मुडवारा एवं कटनी साउथ रेलवे स्टेशन